posted by ओम पुरोहित'कागद' at
[७६] हिलमिल होळी खेली ऊंदरां दिखायो हेत ।
फ़ूल तोड़ ल्याया लाल-लाल जद गया खेत ।
रगड़ बणायो रंग सागै घोटी भंग मिनकी रै
डर सूं पीग्या भांग रंग समेत ॥ ..
kakad जी
dankhla likh"r thne
etti haasi aave hai
to logan ne kiti aavati hosi?
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