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शनिवार, 21 मई 2011

लू से राहत

लू से राहत

लू से बचना जरा!
लू एक आकस्मिक दुर्घटना है। गर्मी के दिनों में प्रचंड ताप से जब शरीर का ताप 130 f से अधिक हो जाता है, तो लू लग जाती है। इस मौसम में सूर्य की तप्त किरणों के प्रभाव से सिर के अधिक तप जाने पर ऎसा होता है। लू में कफ क्षीण और पित्त की आकस्मिक वृद्धि होकर शरीर जलने लगता है, तेज बुखार हो जाता है।

लक्षण
पसीना ज्यादा निकलता है, ताप अधिक रहता है। मूत्र तथा रक्त में लवण की कमी और रक्त में यूरिया की मात्रा बढ़ जाती है। रक्तचाप में कमी आने से चक्कर आना तथा मूर्छा होती है, आंखों के आगे अंधकार छाने लगता है, मूत्र की मात्रा कम हो जाती है। पेशियों का कड़ा होना, सिर में पीड़ा, पतले दस्त आना, शक्तिहीनता, उदर तथा हाथ पैरों में ऎंठन होती है। इससे जान लेना चाहिए कि लू लग गई है।

प्रथमोपचार
रोगी को तत्काल ठंडी छाया वाले हवादार स्थान पर ले जाकर लिटा दें। तुरंत कपड़ों को उतार कर सिर, छाती, मेरूदंड, बांह और हाथ-पैरों पर बर्फ लगाएं या फिर गीला कपड़ा शरीर पर रख दें। जब तक ताप 102 f के नीचे न उतरे, तब तक बर्फ या शीतल जल की पट्टी लगाते रहें। हो सके तो सुगंधित पदार्थ रोगी के पास रख दें। जैसे चंदन, गुलाब, केवड़ा, इत्र या फूल इत्यादि। इससे रोगी को शांति मिलेगी तथा होश आने पर दूध, सोडा, खस का शर्बत, चंदन का शर्बत, गुलाब का शर्बत, हल्का नमकीन गेहूं का दलिया या फलों का रस जैसे- संतरा, अनार, मौसमी, अंगूर, दूध की लस्सी, दही की लस्सी, छाछ आदि दें।

लू से राहत
इनमें से प्राप्त कोई भी औष्ाधि दें और उपचार करें।
प्याज का रस पिलाएं इमली का पानी दें कामदुधा रस चंदन या कोई शीतल शर्बत के साथ दो-दो घंटे पर दें ] श्वास कुठार रस, नागरबेल के पान से दें-चंदन और कपूर घिसकर बदन पर लगाएं, इससे ठंडक रहेगी ] नीम की लकड़ी और लाल चंदन पानी में घिसकर और कलमी शोरा मिलाकर बदन पर लगाएं, ठंडक रहेगी। ] दो नींबू का रस और मिश्री 40 ग्राम को 250 ग्राम पानी में शिकंजी बनाकर पिलाएं। ] लौंग 6 नग और मिश्री 20 ग्राम को पीसकर उसमें आधा कप पानी मिलाकर पिलाएं, लाभ होगा। ] मुरब्बे में से 1 आंवले को धोकर और 10 इलायची को पीसकर पानी में मिलाकर पिलाएं, तो गर्मी शांत होगी और लू से छूटकारा मिलेगा। ] भोजन के बाद नमक मिला हुआ मटा या छाछ पीना ठीक है, इससे नमक की कमी नहीं हो पाती। ] सुबह दही, मटा, राबड़ी में प्याज मिलाकर खाएं। इससे लू में लाभ होता है। ] अमृतधारा 5 बूंद, गुलाबजल में डालकर पिलाएं। ] सौंफ अर्क भी पानी के साथ पिलाएं। ] जलजीरा, नींबू, संतरा, मौसमी आदि फलों का रस, ग्लूकोज, शक्कर, शहद युक्त जल पिलाएं। ] कैरी का पानी भी लू में सर्वोत्तम है।

सावधानी
घर से बाहर हमेशा पानी पीकर निकलें। ] सिर पर धूप से बचाव करने के लिए रूमाल, टोपी का प्रयोग करें। ] खस, चंदन, गुलाब, सुगंधित चीजें और ठंडे पदार्थ प्रयोग में लें। ] दिन में दो बार स्नान करें। ] भूखे नहीं रहें, जब सुबह बाहर काम पर निकलें तो कुछ खाकर जाएं, अधिक चलना हो तो ठंडी छाया में चलें।

सेवन करें
शीतल जल, शीतल पेय, नारियल के जल का पान, चंदन लेप, बर्फ का प्रयोग, लवणमय पदार्थ।
नहीं करें
धूम्रपान, धूप सेवन, तले पदार्थ, दूçष्ात जल, गर्म जल से नहाना, व्यायाम करना, भूखा रहना आदि।

- वैद्य बंकटलाल पारीक

2 टिप्‍पणियां:

  1. डॉ. जोगा सिंह जी , आप द्वारा प्रस्तुत " लू से बचना जरा " की प्रस्तुती सराहनिया है . एक नम्र निवेदन था कि प्रस्तुती में शरीर का तापमान कुछ ज्यादा ही लिखा गया है . शायद तापमान मापने के पैमानों के कारन होगा ? प्रस्तुती काफी आम जन के लिए लाभदायक होगी . धन्यवाद

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