डॉ. जोगा सिंह जी , आज सुबह सुबह आपके आलेख " मेरे जीवन के सात उदेश्य " काफी अच्छी लगी . उद्देश्य भी काफी अच्छें हैं . श्रीमान , प्रभु ने यदि , यह आलेख पढ़ लिया तो बहुत परेशां होगा . चार चावनियाँ दे कर भेजा था उसने इस संसार में . सत्तर उदेश्यों की बात कर दें ., मैं संवय भी काफी आहत हुआ था. दो चावनियाँ तो घीस गई , संघर्षों और जीवन के लोकाचार में ..., शेष दो बची हैं , उपयोग करें .पूर्णविराम से मैं काफी अंदर तक काचोटा गया .शेष तो कलम है , लिखते चलो , देखो श्रीमान जी , उदेशयहीन अनवरत चलती जाती है .
डॉ. जोगा सिंह जी , आज सुबह सुबह आपके आलेख " मेरे जीवन के सात उदेश्य " काफी अच्छी लगी . उद्देश्य भी काफी अच्छें हैं . श्रीमान , प्रभु ने यदि , यह आलेख पढ़ लिया तो बहुत परेशां होगा . चार चावनियाँ दे कर भेजा था उसने इस संसार में . सत्तर उदेश्यों की बात कर दें ., मैं संवय भी काफी आहत हुआ था. दो चावनियाँ तो घीस गई , संघर्षों और जीवन के लोकाचार में ..., शेष दो बची हैं , उपयोग करें .पूर्णविराम से मैं काफी अंदर तक काचोटा गया .
जवाब देंहटाएंशेष तो कलम है , लिखते चलो , देखो श्रीमान जी , उदेशयहीन अनवरत चलती जाती है .