(दिनांक ०९-०७-२००११ )
श्रीगोपाल कृषण बागी
के निमंत्रण पर स्कूल में फ्री सेमिनार के लिए बुलावा
आया तो तुरंत तैयार हो गया जाने के लिए .वैसे साल में एक बार जरूर
जाता हूँ .जिन गलियों में बचपन का आन्नद लिया उनमें घूमकर ताज़गी,
व नयी उर्जा भर कर लौटती गाड़ी से आ जाता था .जिन स्कूलों में पढ़ा वहा
भी घूम आता ,अपने पुराने घरों को देखना
janam sthan wale ghar ke samane dr.kait |
joga singh ka janam sthan golbazar |
,पुराने लोगों को देखना ,जिनकी
गोद में खेले जो अब ८० पार के हो चुकें हैं.अभी भी काम कर रहें हैं .ये सब
देखकर मानों मैं अपना बुढ़ापा वहां छोड़ आता हूँ और बचपन वहां से ले आता हूँ .
शायद इसी कारण आज भी अपने आप को बच्चा महसूस करता हूँ.और दिन भर
अच्छी दिनचर्या का पालन कर लेता हूँ .मुझे याद है जब मेरे पिता जी,
श्री साधू सिंह जी मेरी उंगली पकड़ कर नगरपालिका (पिता जी दो बार पार्षद
भी रह चुकें हैं) में रेडिओ सुनाने ले जाते थे, .वो आज भी खंडहर की स्थिति में
आज भी खड़ा है .इसकी फोटो व जानकारी राजस्थान पत्रिका के
redio ghar ke samane dr.kait |
srikaranpur me redio ghar |
dr.kait,praveen rajpal |
.इस यात्रा में पिता जी के समकालीन
सिर्फ एक ही साथी मिले जो इस समय ९० साल की उम्र के है श्री प्रीतम सिंह जी
.अभी भी उसी प्रकार खुस ,स्वस्थ नाम बताते ही बोले "जोगी" हैं ना यूँ बोल ,
गले लगाकर मानों उन्होंने अपनी व मेरी ना जाने कितनी हसरतें पूरी कर ली.
श्री प्रीतम सिंह जी |
पहचान लेने केबाद हाथ मिलाने से इंकार कर दिया ,जी भर कर गले मिला
.वरिष्ट साहित्यकार व ज्ञान ज्योति स्कूल के प्रिंसिपल श्री जनक राज परिक के निवास पर मिले तो
मानों वे आश्चर्य चकित हो गए .खूब बातें हुयी चाय के बाद विदा ली .और पहुँच
गए टीचर नरेश के घर वे भी अचानक आगमन पर खुश हुए
dr. kait visited sh.naresh `s school in moudan village |
इनके परिवार ने मेरे पिता जी के बनाये रविदास मंदिर के काम को नए सिरे से आगे बढाया .
जो बस्ती पिता जी ने पार्षद होते स्वीकृत करवाई थी उसी में मंदिर बनवाया .
सामने पार्क में डॉ. भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति भी लगवाई,उस समय भी मुझे
बुलाया था.हम सपरिवार साक्षी बने थे .तीन स्कूलों में सेमिनार करके,
व जन्म भूमि को नमन करके शाम को सूरत गढ़ लौट आये .अब बड़ी
रेल-लाइन शुरू होने पर पहले दिन उस रेल में यात्रा करेंगें .
बचपन में तो मैंने छुक-छुक करते भाप वाले इंजन को ही देखा था
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