(डॉ.रूप चन्द्र जी मयंक "उच्चारण") |
डॉ.रूप चन्द्र जी मयंक "उच्चारण" का आभारी हूँ .आज पहली बार
विडिओ चैट करने का अवसर दिया ,साथ ही उनके मन में दूसरों
के प्रति कितना प्यार व सहयोग करने की भावना है ,मेरे ब्लॉग
शीर्षक के नवीनीकरण के रूप में सबके सामनें है.
नियमित रूप से मेरा ब्लॉग देखकर अनमोल सुझाव देते रहतें
हैं,शायद यही कारण है कि आपने ब्लॉग कि भावना को समझते
हुए ,जर्जर पेड़ रुपी शरीर को प्राकृतिक -चिकित्सा रुपी सूर्य -किरण
को,एक बड़ी आशा के रूप में प्रकट किया है.
इसमे संदेह नहीं कि प्राकृतिक -चिकित्सा की शरण में आनेवाला
कभी निराश नहीं होता .प्राकृतिक -चिकित्सा हमारी आखरी साँस
तक साथ निभाने वाली चिकित्सा है.
जैसे सूखते पेड़ को पानी मिल जाने पर फिर से हरा-भरा हो जाता है
वैसे ही प्राकृतिक -चिकित्सा भी उपचार से हारे आदमी के लिए संजीवनी
का काम करती है.
डॉ साहेब आपका प्यार,सहयोग व आशीर्वाद पाकर धन्य हुआ .
आभार की गुंजाइश नहीं है मित्रवर!
जवाब देंहटाएंदुनियादारी और जीवन एक दूसरे का सहयोग करके बेहतर ढंग से निभाया जा सकता है!
bahut sundar
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