मोटापा ले सकता है बच्चों की जान
मंगलवार, 24 जुलाई, 2012 को 14:47 IST तक के समाचार
बहुत मोटे बच्चे अगर प्राइमरी स्कूल जा रहे हों या फिर हाई स्कूल, उन्हें हृदय रोग का खतरा हो सकता है.
बच्चों में मोटापा से होनेवाले इस खतरे के बारे में पुर्तगाल में किए गए शोध से पता चला है.
माना जाता है कि मध्य वय के लोगों को हृदय रोग का खतरा होता है, लेकिन हालिया शोध में दो साल से 12 साल के बच्चों में भी यह खतरा दिखने लगता है.
डच शोधार्थियों ने 307 बच्चों के उपर किए गए अध्ययन में पाया कि मोटे बच्चों में उच्च रक्तचाप का लक्षण तो पाया ही गया जो हृदय रोग होने के महत्वपूर्ण लक्षण हैं.
इस शोध को ‘आर्काइव्स ऑफ डिजीज इन चाइल्डहूड’ में पेश किया गया.
पूरी दुनिया में मोटापा एक बड़ी बीमारी के रूप में सामने आने लगा है. आजकल बहुत ही कम उम्र के बच्चे मोटापन का शिकार होने लगते हैं.
"जिस तरह के शोध हमारे सामने आए हैं, हमारे लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि इसमें छोटे लेकिन मोटे बच्चों में उच्च रक्तचाप, अधिक मात्रा में ग्लुकोज और कोलेस्ट्रोल की प्रचुरता पाई गई है. ये लक्षण खतरे की निशानी तो है ही"
ब्रिटिश हर्ट फॉउंडेशन में हृदय रोग की वरिष्ठ नर्स डोइरन मैडॉक
बॉडी मास इंडेक्स के अनुसार जिन बच्चों का दो साल की उम्र में बॉडी मास इंडेक्स 20.5 है उन्हें काफी मोटा माना जाता है लेकिन अगर किसी 18 साल के लड़के का इंडेक्स 35 है तो उन्हें भी बहुत मोटा माना जाता है.
एम्सटरडम के वी यू यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में बच्चों पर 2005 से 2010 तक तैयार किए गए आंकड़ो से यह शोध तैयार किया गया है.
उस शोध में पता चला है कि मोटे बच्चों को हृदय रोग का खतरा बना रहता है.
शोध में कहा गया है, “ सबसे बुरी खबर यह है कि 12 वर्ष से कम उम्र के मोटे बच्चों में हृदय रोग के लक्षण दिखाई दिए हैं.”
शोध में कहा गया है कि जिन बच्चों पर शोध किया गया है उनमें से आधा से अधिक बच्चों में उच्च रक्तचाप और कुछ बच्चों में निम्म रक्तचाप के लक्षण पाए गए हैं. साथ ही, कुछ बच्चों में ‘अच्छे कोलेस्ट्रोल’ की मात्रा काफी कम पाई गई. इसके साथ ही मोटे बच्चों में मधुमेह की बीमारी भी पाई गई.
ब्रिटिश हर्ट फॉउंडेशन में हृदय रोग की वरिष्ठ नर्स डोइरन मैडॉक का कहना है, “हालांकि यह काफी छोटा अध्ययन है, फिर भी इस खबर से निराशा होती है.”
डोइरन मैडोक का कहना है, “.”
हालांकि वो कहती है, “यह एक ऐसी समस्या है जिसका समधान ढ़ूढ़ा जा सकता है और अवयस्क बच्चों में बढ़ रहे मोटापा को कम किया जा सकता है.”
डोडरन मैडोक का कहना है कि मोटापा से बचने के लिए बच्चों को स्वस्थ्य खान-पान की तरफ ध्यान आकर्षित कराना पड़ेगा जिससे कि भावी पीढ़ी को बचाया जा सके.
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