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FREE होम रेमेडी पूछने के लिए फ़ोन करें 09414989423 ( drjogasinghkait.blogspot.com निशुल्क - मनोरंजन हेतू ब्लोग देखे atapatesawaldrkait.blogspot.com निशुल्क - myphotographydrkait.blogspot.com ) (१)व्यक्ति पहले धन पाने के लिए सेहत बरबाद करता है ,फिर सेहत पाने के लिए धन बरबाद करता है (२)अपने आप को बीमार रखने से बढ कर कोई पाप नहीं है (३)खड़े-खड़े पानी पीने से घुटनों में दर्द की शिकायत ज़ल्दी होती है ,बैठ कर खाने- पीने से घुटनों का दर्द ठीक हो जाता है (४)भोजन के तुरंत बाद पेशाब करने की आदत बनायें तो किडनी में तकलीफ नहीं होगी (५)ज़बडा भींच कर शौच करने /पेशाब करने से हिलाते हुए दांत/दाड़ पूरी तरहां से जम जाते हैं (६)महत्त्व इस बात का नहीं की आप कितना ऊँचा उठे हैं (तरक्की की ),महत्त्व इस बात का है की आपने कितने लोगों की तरक्की में हाथ बटाया(7)होम रेमेडी और भी हैं ,ब्लॉग विजिट करते रहें मिलते है एक छोटे से ब्रेक के बाद

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रविवार, 12 जून 2011

COMMENTs


Hi Drjoga Singh,
Faulal Prajapati Mulaira commented on your photo.
Faulal wrote "Aapki sabhi posts note banaakar sahej kar rakhunga." 
Hi Drjoga Singh,
Amritpal Amrit commented on your photo.
Amrit wrote "बहुत अच्छे नुस्खे बताने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।" 

Hi Drjoga Singh,
Ak Bralla commented on your photo.
Ak wrote "jogi ji aapka jawab nahi." 

Hi Drjoga Singh,
Subhash Mehta commented on your photo.
Subhash wrote "Start of facebook is good today, Dr. Sahbi, There exist 1st post of urs jokes on my wall. I hope that today's session will go well." Hi Drjoga Singh,

Ramesh Chandra Mathur commented on your status.
Ramesh Chandra wrote "Nice Thought We Are With You Every Time.


डॉ. मुकेश राघव , बीकानेर has left a new comment on your post "mere jivan ka udeshya": 
डॉ. जोगा सिंह जी , आज सुबह सुबह आपके आलेख " मेरे जीवन के सात उदेश्य " काफी अच्छी लगी . उद्देश्य भी काफी अच्छें हैं . श्रीमान , प्रभु ने यदि , यह आलेख पढ़ लिया तो बहुत परेशां होगा . चार चावनियाँ दे कर भेजा था उसने इस संसार में . सत्तर उदेश्यों की बात कर दें ., मैं संवय भी काफी आहत हुआ था. दो चावनियाँ तो घीस गई , संघर्षों और जीवन के लोकाचार में ..., शेष दो बची हैं , उपयोग करें .पूर्णविराम से मैं काफी अंदर तक काचोटा गया .
शेष तो कलम है , लिखते चलो , देखो श्रीमान जी , उदेशयहीन अनवरत चलती जाती है . 


1 टिप्पणी:

  1. अब इस पर क्या कमेंट करें!
    यह कोई स्रजन नहीं है आपका!
    --
    दूसरी बात यह है कि आप जितना समय टिप्पणीदाताओं को जवाब देने में लगाते हैं, उससे कम समय में तो उनके ब्लॉग की किसी पोस्ट पर कमेंट भी हो सकता है!
    --
    इससे उनको वही खुशी मिलेगी जो आपको अपने ब्लॉग पर कमेंट देखकर मिलती है!

    जवाब देंहटाएं